लखनऊ
घटनाक्रम ने उठाए गंभीर सवाल
लखनऊ में एक दिल दहला देने वाली घटना सामने आई है, जहां एक मात्र 4 वर्षीय बच्ची के साथ स्कूल वैन ड्राइवर ने दुष्कर्म किया। यह केस न केवल स्कूल प्रशासन की लापरवाही को उजागर करता है बल्कि बच्चों की सुरक्षा पर भी बज़बा सवाल खड़ा करता है। बच्ची का बयान, पुलिस की जांच, मेडिकल रिपोर्ट और आरोपी की पृष्ठभूमि – सब मिलकर एक ऐसी तस्वीर पेश करते हैं जो समाज की संवेदनहीनता को दर्शाती है।
घटना की पूरी जानकारी
घटना की तारीख और स्थान
यह शर्मनाक घटना 17 जुलाई 2025 को उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ के एक प्राइवेट स्कूल की है। पीड़िता एक 4 साल की मासूम बच्ची है, जो प्रतिदिन स्कूल वैन से जाती थी। उसी वैन में बच्ची के साथ यह वारदात हुई।
आरोपी कौन है?
आरोपी की पहचान फिरोज नामक स्कूल वैन ड्राइवर के रूप में हुई है। वह पिछले 6 महीनों से इसी स्कूल में ड्राइवर की नौकरी कर रहा था। प्रारंभिक जांच में सामने आया कि स्कूल द्वारा उसका proper police verification नहीं कराया गया था।
बच्ची ने कैसे बताई आपबीती?
घटना के दो दिन बाद बच्ची ने जब चलने में असहजता महसूस की, तब उसने अपनी मां को बताया – “वैन अंकल ने गलत काम किया।” यह सुनते ही माता-पिता ने तुरंत बच्ची को डॉक्टर के पास ले जाकर मेडिकल कराया और पुलिस में शिकायत दर्ज कराई।
पुलिस जांच और आरोपी की गिरफ्तारी
FIR और धाराएं
बच्ची के बयान और मेडिकल रिपोर्ट के आधार पर आरोपी के खिलाफ IPC की धारा 376 (बलात्कार), 506 (धमकी), और POCSO एक्ट के तहत केस दर्ज किया गया। FIR दर्ज होते ही पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया।
CCTV और अन्य सबूत
पुलिस ने स्कूल, बच्ची के घर और रास्ते में पड़ने वाले CCTV फुटेज खंगाले। वैन में कैमरे ना होने की वजह से पुख्ता विजुअल सबूत नहीं मिले, लेकिन बच्ची के बयान को प्राथमिक साक्ष्य माना गया।
आरोपी का पिछला रिकॉर्ड
जानकारी के अनुसार, आरोपी पहले भी एक स्कूल ट्रांसपोर्ट एजेंसी में काम कर चुका था लेकिन अनुशासनहीनता के चलते हटा दिया गया था। यह भी सामने आया है कि उस समय कोई कानूनी कार्रवाई नहीं हुई थी।
स्कूल प्रशासन की लापरवाही
Verification नहीं किया गया
School ने फिरोज नामक ड्राइवर की पुलिस वेरिफिकेशन नहीं कराई थी, जो कि Transport Department के नियमों के खिलाफ है।
स्कूल का बयान
जब मीडिया ने स्कूल से संपर्क किया, तो उनका जवाब था: “हमें इस घटना का बेहद दुख है। हम जांच में पूरा सहयोग करेंगे।” लेकिन Parents और Activists इस जवाब से संतुष्ट नहीं हैं।
Child Crime Data in India
| Year | Child Rape Cases (NCRB Data) | Uttar Pradesh Contribution |
|---|---|---|
| 2021 | 17,473 | 3,410 |
| 2022 | 18,853 | 3,860 |
| 2023 | 19,225 | 4,230 |
| 2024 (Est.) | 20,400+ | 4,500+ |
Sources: NCRB Annual Reports, UP Police Crime Record Cell
POCSO एक्ट और इसका क्रियान्वयन
POCSO Act क्या है?
POCSO (Protection of Children from Sexual Offences Act) 2012 बच्चों को sexual offences से बचाने के लिए बनाया गया कानून है।
इस केस में POCSO की धाराएं:
- Section 4: Penetrative sexual assault
- Section 6: Aggravated sexual assault
- Section 10: Attempt and criminal intimidation
Fast Track Court की मांग
महिला आयोग और Child Rights Activists की मांग है कि इस केस को Fast Track Court में चलाकर जल्द से जल्द फैसला दिया जाए।
माता-पिता के लिए सुझाव (Parental Awareness Tips)
- बच्चों को Good Touch–Bad Touch के बारे में शिक्षित करें।
- वैन ड्राइवर या किसी अन्य outsider से बात करने की आदतें मॉनिटर करें।
- Behavioral changes जैसे अचानक withdrawal, डरना, या रात में डरकर उठना – इन सबको गंभीरता से लें।
- Open Communication बनाकर रखें – बच्चे को guilt-free तरीके से बात करने दें।
विशेषज्ञों की राय
Child Psychologist (Dr. Anamika Verma):
“ऐसे मामलों में बच्चा guilt या डर से चुप रहता है। पैरेंट्स को patience और care के साथ उसे emotionally support करना चाहिए।”
Criminal Lawyer (Adv. Manish Tripathi):
“POCSO Act का सख्त इस्तेमाल जरूरी है। कोर्ट को 60 दिनों में फैसला देने की व्यवस्था है लेकिन ground reality में delays होते हैं।”
FAQs
हाँ, आरोपी फिरोज को लखनऊ पुलिस ने 18 जुलाई को गिरफ्तार कर लिया है।
बच्ची को लखनऊ के सरकारी अस्पताल में medical और psychological support दिया जा रहा है।
जांच के बाद school management पर negligence का केस दर्ज करने की प्रक्रिया चल रही है।
हाँ, वैन ड्राइवर का background verification नहीं किया गया था जो कानूनन अनिवार्य है।
हाँ, वैन ड्राइवर का background verification नहीं किया गया था जो कानूनन अनिवार्य है।
निष्कर्ष
Lucknow की यह घटना हमें यह सोचने पर मजबूर करती है कि बच्चों की सुरक्षा की जिम्मेदारी केवल सरकार या स्कूल की नहीं, बल्कि पूरे समाज की है। जब तक हम system को accountable नहीं बनाएंगे, ऐसी घटनाएं होती रहेंगी। इस केस में swift justice और system reforms की सख्त ज़रूरत है।
