उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है जब बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बीच एक अहम मुलाकात लखनऊ में हुई। यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं बल्कि राजनीतिक समीकरणों में बदलाव का संकेत भी माना जा रहा है। ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव 2024 के बाद यूपी की राजनीति में नए समीकरण बन रहे हैं, यह मीटिंग कई सवाल खड़े करती है। आइए इस पूरे घटनाक्रम को विस्तार से समझते हैं:

बृजभूषण-योगी की मुलाकात: पृष्ठभूमि
बृजभूषण शरण सिंह, जो गोंडा से बीजेपी सांसद हैं और कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष भी रहे हैं, हाल ही में महिला पहलवानों द्वारा यौन उत्पीड़न के गंभीर आरोपों के चलते चर्चा में रहे। इन आरोपों के बाद पार्टी और सरकार ने उनसे दूरी बना ली थी। लेकिन अब योगी आदित्यनाथ से उनकी सीधी मुलाकात के बाद फिर से उनके सक्रिय राजनीति में आने की अटकलें तेज हो गई हैं।
लखनऊ में हुई यह मुलाकात केवल व्यक्तिगत संबंधों तक सीमित नहीं थी। राजनीतिक गलियारों में यह चर्चा का विषय बना हुआ है कि क्या बृजभूषण को फिर से पार्टी में कोई सक्रिय भूमिका दी जा सकती है या यह किसी बड़े राजनीतिक बदलाव की ओर इशारा है?
राजनीतिक महत्व और संभावित असर
- पूर्वांचल की राजनीति पर असर: बृजभूषण का प्रभाव पूर्वांचल के कई जिलों में है। अगर पार्टी उन्हें फिर से सक्रिय करती है, तो यह पूर्वांचल में बीजेपी की पकड़ को मज़बूत कर सकता है।
- OBC वोट बैंक की राजनीति: बृजभूषण शरण सिंह ओबीसी समुदाय से आते हैं और इस समुदाय में उनकी अच्छी पकड़ मानी जाती है। 2027 के विधानसभा चुनाव को देखते हुए बीजेपी ओबीसी वोट बैंक को फिर से साधना चाहती है।
- पहलवान विवाद की छाया: हालांकि बृजभूषण के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोप अभी भी कानूनी प्रक्रिया में हैं, लेकिन राजनीतिक वापसी की संभावनाएं बनी हुई हैं। इस मुद्दे पर पार्टी की चुप्पी और अब यह मुलाकात, कई मायनों में संकेत दे रही है।
- योगी आदित्यनाथ की रणनीति: यह मुलाकात यह भी दिखाती है कि योगी आदित्यनाथ अपनी राजनीतिक योजना में कुछ पुराने चेहरों को दोबारा से जोड़ सकते हैं। यह संभव है कि वे बृजभूषण को किसी संगठनात्मक जिम्मेदारी में ला सकते हैं।
क्या ब्रजभूषण का राजनीतिक पुनर्वास हो रहा है?
सवाल यह है कि क्या ब्रजभूषण शरण सिंह का बीजेपी में पुन: उदय हो रहा है?
- पार्टी के लिए ब्रजभूषण पूर्वांचल में एक ‘electoral asset’ साबित हो सकते हैं।
- हालांकि, नैतिक रूप से और महिला मतदाताओं के बीच यह दांव उल्टा भी पड़ सकता है।
- BJP को यह बैलेंस करना होगा कि वे एक प्रभावशाली नेता को साथ लाएं लेकिन साथ ही अपने महिला वोट बैंक को नाराज़ भी न करें।
राजनीतिक विश्लेषण: इस मुलाकात के संभावित मायने
| बिंदु | राजनीतिक मतलब |
|---|---|
| योगी-बीजेपी समीकरण | CM Yogi का ब्रजभूषण से मिलना इस बात का संकेत हो सकता है कि पार्टी फिर से पुराने नेताओं को साथ लाने की कोशिश कर रही है। |
| जातीय गणित | ब्रजभूषण की ठाकुर समुदाय में मजबूत पकड़ है, जिसे 2026 चुनाव से पहले फिर से एक्टिव करना पार्टी के लिए फायदेमंद हो सकता है। |
| विपक्षी रिएक्शन | सपा और कांग्रेस जैसी पार्टियां इस मुलाकात को मुद्दा बना सकती हैं कि बीजेपी “बलात्कार के आरोपी को गले लगा रही है।” |
| कुश्ती महासंघ | इस मुलाकात से यह भी अटकलें लगाई जा रही हैं कि ब्रजभूषण की WFI में वापसी की तैयारी है। |
पार्टी के अंदर समीकरण
- सूत्रों के अनुसार, बृजभूषण शरण सिंह को लेकर बीजेपी के अंदर मतभेद हैं। एक धड़ा उन्हें दोबारा सक्रिय करने के पक्ष में है, जबकि दूसरा उनकी छवि और कानूनी मामलों के चलते एतराज़ जता रहा है।
- माना जा रहा है कि अगर बृजभूषण को कोई भूमिका दी जाती है तो यह पूरी तरह से यूपी भाजपा नेतृत्व और केंद्रीय नेतृत्व के आपसी सामंजस्य पर निर्भर करेगा।
समाज और मीडिया की प्रतिक्रिया
इस मुलाकात के बाद सोशल मीडिया पर भी कई प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं। जहां कुछ लोगों ने इसे रणनीतिक बताया, वहीं कई संगठनों और महिलाओं ने इसे बृजभूषण को क्लीन चिट देने के रूप में देखा। पहलवानों के समर्थन में कई लोग अभी भी बृजभूषण की वापसी का विरोध कर रहे हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
सपा, कांग्रेस और आम आदमी पार्टी जैसे विपक्षी दलों ने इस मुलाकात को लेकर सरकार को घेरा है। विपक्ष का कहना है कि बीजेपी अपराध के आरोपों में घिरे नेताओं को संरक्षण दे रही है।
भविष्य की रणनीति
- अगर बृजभूषण को कोई पद मिलता है, तो यह स्पष्ट हो जाएगा कि पार्टी उन्हें फिर से सक्रिय भूमिका देना चाहती है।
- यदि ऐसा नहीं होता है, तो यह माना जाएगा कि यह मुलाकात सिर्फ निजी थी या फिर किसी संगठनात्मक संतुलन के तहत हुई।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
A1: अभी तक पार्टी की ओर से कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन योगी से मुलाकात संकेत देती है कि यह संभव है।
A2: उन पर यौन उत्पीड़न के आरोप हैं और मामला कोर्ट में विचाराधीन है।
A3: अगर बृजभूषण को कोई भूमिका दी जाती है तो निश्चित रूप से इसका असर पहलवान आंदोलन पर पड़ेगा और विवाद फिर से उभर सकता है।
A4: विपक्ष का आरोप है कि बीजेपी ऐसे नेताओं को संरक्षण दे रही है जिन पर गंभीर आरोप हैं
A5: हां, यदि ब्रजभूषण को फिर से प्रमुख भूमिका मिलती है, तो महिला वोटर्स में असंतोष हो सकता है।
क्या ये सियासी गठजोड़ 2026 में असर डालेगा?
- हां, अगर ब्रजभूषण दोबारा सक्रिय हुए तो पार्टी को गोंडा, बहराइच, बलरामपुर जैसे क्षेत्रों में लाभ हो सकता है।
- लेकिन यह पार्टी के नैरेटिव — “न खाऊंगा, न खाने दूंगा” — को नुकसान पहुंचा सकता है।
- एक और बड़ी बात: महिला मतदाता वर्ग इस फैसले को किस रूप में देखेगा?
निष्कर्ष
बृजभूषण शरण सिंह और योगी आदित्यनाथ की यह मुलाकात उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक नए अध्याय की शुरुआत हो सकती है। आने वाले दिनों में यह साफ होगा कि यह सिर्फ एक औपचारिक भेंट थी या फिर भाजपा की बड़ी राजनीतिक योजना का हिस्सा। बीजेपी की रणनीति, सामाजिक प्रतिक्रिया और कानूनी पक्ष — सभी पर इसकी छाया देखने को मिलेगी।
