उत्तर प्रदेश सरकार ने 2025 में एक बड़ा फैसला लिया है जिससे राज्य के प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूलों के भविष्य पर असर पड़ेगा। 50 से अधिक छात्रों वाले सरकारी स्कूलों का मर्जर आदेश अब रद्द कर दिया गया है। सरकार इसके बजाय शिक्षकों के स्थानांतरण (transfer) की प्रक्रिया को फिर से शुरू करने की योजना बना रही है। आइए विस्तार से समझते हैं इस निर्णय के पीछे की वजह, इसका प्रभाव, और आगे की रणनीति।

क्यों लिया गया यह फैसला?
1. ग्रामीण क्षेत्रों में स्कूल बंद होने का खतरा
पिछले आदेशों के अनुसार, कम छात्रसंख्या वाले स्कूलों को आसपास के बड़े स्कूलों में मर्ज किया जा रहा था। लेकिन कई ऐसे स्कूल भी मर्ज हो रहे थे जिनमें 50 से ज्यादा बच्चे थे, जिससे ग्रामीण क्षेत्रों में पढ़ाई प्रभावित हो रही थी।
2. छात्रों की दूरी और पढ़ाई पर असर
मर्जर की वजह से बच्चों को अब अपने गांव से दूर जाकर पढ़ाई करनी पड़ रही थी, जिससे शिक्षा में नियमितता कम हो रही थी।
3. अभिभावकों की नाराजगी
ग्रामीण परिवारों में बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंता थी और महिला छात्रों की उपस्थिति पर भी असर पड़ रहा था। अभिभावकों और पंचायतों ने इसका विरोध किया।
4. शिक्षक पदस्थापन में विसंगतियाँ
मर्जर के चलते शिक्षक भी एक स्कूल से दूसरे स्कूल में शिफ्ट हो रहे थे लेकिन कई जगहों पर अनुपातिक रूप से शिक्षक कम या अधिक हो गए। इससे पढ़ाई की गुणवत्ता प्रभावित हुई।
नई व्यवस्था: तबादला प्रक्रिया होगी तेज
राज्य सरकार ने अब यह स्पष्ट किया है कि जिन स्कूलों में 50 या उससे अधिक विद्यार्थी हैं, उन्हें किसी भी हाल में मर्ज नहीं किया जाएगा। इसके बदले एक पारदर्शी और आवश्यकता आधारित तबादला प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
शिक्षक ट्रांसफर कैसे होगा?
- GIS mapping के जरिए स्कूलों की स्थिति और आवश्यकता का अध्ययन किया जाएगा।
- अनुपात के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति सुनिश्चित की जाएगी (30:1 प्राथमिक, 35:1 उच्च प्राथमिक)
- ऑनलाइन ट्रांसफर पोर्टल के माध्यम से पारदर्शी प्रक्रिया होगी
- महिला शिक्षकों और दिव्यांग शिक्षकों को विशेष प्राथमिकता
छात्रों पर असर: राहत या चुनौती?
राहत:
- बच्चों को अपने गांव या नजदीकी स्कूल में ही शिक्षा मिलेगी
- महिला छात्रों की उपस्थिति में सुधार संभव
- अभिभावकों का भरोसा स्कूलों पर बढ़ेगा
चुनौतियाँ:
- शिक्षक संख्या संतुलित करना एक बड़ा कार्य होगा
- शिक्षा की गुणवत्ता बरकरार रखना ज़रूरी होगा
शिक्षकों के लिए क्या बदलेगा?
- अब उन्हें मर्जर के कारण अचानक स्कूल परिवर्तन की स्थिति का सामना नहीं करना पड़ेगा
- स्पष्ट ट्रांसफर नीति से काम का तनाव कम होगा
- जो शिक्षक ग्रामीण क्षेत्रों में अधिक समय से कार्यरत हैं, उन्हें प्राथमिकता मिलेगी
आंकड़े और सरकारी रिपोर्ट्स से पुष्टि
- राज्य में 1.58 लाख प्राथमिक और उच्च प्राथमिक स्कूल हैं
- करीब 3.5 लाख शिक्षक कार्यरत हैं
- 15% से अधिक स्कूलों में छात्र संख्या 50 से ऊपर है
- पहले चरण में 6,000 से अधिक स्कूलों को मर्ज किया गया था
क्या कहती हैं शिक्षा नीति और प्रशासनिक गाइडलाइंस?
- नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में स्थानीय स्कूलों को मजबूत करने पर ज़ोर दिया गया है
- शिक्षा का अधिकार अधिनियम (RTE) कहता है कि 1 किलोमीटर के भीतर प्राथमिक स्कूल होना चाहिए
- इसलिए राज्य सरकार अब केंद्र की गाइडलाइन के अनुरूप स्कूल नेटवर्क को पुनः व्यवस्थित कर रही है
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
Ans: 50 से अधिक छात्रों वाले स्कूल मर्ज नहीं होंगे। लेकिन कम छात्रों वाले स्कूलों का मर्जर केस-बाय-केस किया जा सकता है।
Ans: अगस्त 2025 से चरणबद्ध तरीके से ट्रांसफर प्रक्रिया शुरू होगी, पहले प्राथमिक फिर उच्च प्राथमिक शिक्षकों के लिए।
Ans: स्थानांतरण प्रक्रिया ऑनलाइन और मेरिट आधारित होगी, कुछ विशेष श्रेणियों को वरीयता दी जाएगी।
Q4: नई व्यवस्था में पारदर्शिता कैसे सुनिश्चित होगी?
Ans: GIS mapping, online transfer portal और मानक अनुपात के आधार पर ट्रांसफर की पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश सरकार का यह फैसला शिक्षा के क्षेत्र में एक संतुलित और व्यावहारिक कदम कहा जा सकता है। इससे ना केवल छात्रों की पढ़ाई सुगम होगी बल्कि शिक्षकों के कार्यस्थल भी स्थिर होंगे। अगर स्थानांतरण प्रक्रिया पारदर्शी तरीके से लागू हुई, तो यह राज्य की शिक्षा व्यवस्था को मज़बूत कर सकती है।
