बरेली, उत्तर प्रदेश में एक बेहद दर्दनाक और शर्मनाक घटना सामने आई है जिसमें एक पति ने अपनी पत्नी को इस हद तक पीटा कि उसका लिवर फट गया और हाथ-पैर टूट गए। इस क्रूरता ने न केवल स्थानीय प्रशासन को हिला दिया है, बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया है। आइए जानते हैं इस घटना से जुड़ी पूरी जानकारी, पुलिस की कार्रवाई, महिला की स्थिति, और इस तरह के घरेलू हिंसा मामलों की कानूनी व सामाजिक पड़ताल।

घटनास्थल: बरेली का भयावह सच
यह घटना उत्तर प्रदेश के बरेली जिले की है जहां एक महिला पर उसके ही पति ने क्रूरता की सारी हदें पार करते हुए हमला किया। महिला की हालत इतनी गंभीर थी कि उसे फौरन अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जहां डॉक्टरों ने बताया कि उसका लिवर फट चुका है और दोनों हाथ-पैर टूट चुके हैं।
आरोपी की पहचान और पृष्ठभूमि
पति की पहचान बरेली निवासी व्यक्ति के रूप में हुई है, जो अक्सर शराब के नशे में महिला के साथ मारपीट करता था।
- उसका व्यवहार लंबे समय से हिंसात्मक बताया जा रहा है
- पड़ोसियों ने कई बार झगड़े की आवाजें सुनी थीं
- पहले भी महिला ने थाने में शिकायत दी थी लेकिन कड़ी कार्रवाई नहीं हुई
महिला की मेडिकल स्थिति
अस्पताल सूत्रों के अनुसार:
- महिला का लिवर फट चुका है, जो अंदरूनी रक्तस्राव का कारण बना
- दाएं हाथ और बाएं पैर में फ्रैक्चर है
- सिर में भी गंभीर चोट आई है
- ICU में भर्ती है और उसकी स्थिति नाज़ुक बताई जा रही है
पुलिस कार्रवाई और FIR
घटना के बाद महिला के परिजनों ने पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने तुरंत मौके पर पहुंचकर पति को हिरासत में ले लिया और IPC की कई गंभीर धाराओं में FIR दर्ज की:
- धारा 307 (हत्या की कोशिश)
- धारा 498A (दहेज प्रताड़ना)
- धारा 326 (गंभीर चोट पहुंचाना)
पड़ोसियों की भूमिका
पड़ोसियों का कहना है कि उन्हें कई बार महिला की चीखें सुनाई देती थीं, लेकिन वह डर के मारे कुछ नहीं बोलते थे। घटना के दिन भी महिला की चीखें इतनी तेज़ थीं कि लोगों ने जाकर दरवाजा खटखटाया, तब जाकर मामला सामने आया।
घरेलू हिंसा के आंकड़े: यूपी की स्थिति
- NCRB 2023 की रिपोर्ट के अनुसार:
- उत्तर प्रदेश में घरेलू हिंसा के सबसे ज्यादा मामले दर्ज हुए हैं
- हर दिन औसतन 87 महिलाएं घरेलू हिंसा का शिकार होती हैं
- National Family Health Survey (NFHS-5) के अनुसार:
- ग्रामीण इलाकों में 33% विवाहित महिलाएं शारीरिक हिंसा की शिकार हैं
समाज की चुप्पी: क्यों नहीं टूट रही चुप्पी?
- महिला सुरक्षा पर जागरूकता की भारी कमी
- घरेलू हिंसा को अब भी “घरेलू मामला” मानकर अनदेखा किया जाता है
- ज्यादातर महिलाएं लोकलाज के डर से रिपोर्ट नहीं करतीं
कानूनी सुरक्षा और अधिकार
भारत में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाओं के लिए कई कानून मौजूद हैं:
- Protection of Women from Domestic Violence Act, 2005
- Indian Penal Code की धारा 498A
- Section 125 CrPC – Maintenance का अधिकार
- Helpline Numbers: 1090 (Women Power Line), 181 (Women Helpline)
प्रशासन की प्रतिक्रिया
बरेली पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और महिला की स्थिति की निगरानी की जा रही है। महिला आयोग ने भी इस घटना पर स्वतः संज्ञान लेते हुए जिलाधिकारी से रिपोर्ट मांगी है।
इस केस से जुड़े मुख्य बिंदु:
- यह केवल एक महिला की कहानी नहीं, बल्कि हजारों ऐसी महिलाओं की आवाज़ है जो घर के भीतर प्रताड़ित होती हैं
- समाज, प्रशासन और कानून को मिलकर इन घटनाओं पर तत्काल और सख्त कार्रवाई करनी होगी
जागरूकता और बचाव के उपाय:
- महिलाओं को अपने अधिकारों की जानकारी होनी चाहिए
- पंचायत स्तर तक जागरूकता अभियान चलाए जाने चाहिए
- स्कूल स्तर पर लड़कों को gender sensitization की शिक्षा देना अनिवार्य हो
निष्कर्ष
यह घटना समाज के उस स्याह पहलू को उजागर करती है जो अक्सर पर्दे के पीछे छिपा रहता है। घरेलू हिंसा न केवल पीड़िता का जीवन तबाह करती है बल्कि पूरे समाज को एक मानसिक बीमार माहौल में ढकेलती है। ज़रूरत है कि ऐसे मामलों में सख्त कानूनी कार्रवाई हो, और साथ ही साथ समाज की चुप्पी भी टूटे।
FAQs: घरेलू हिंसा मामले से जुड़े सामान्य प्रश्न
Ans: महिला को तुरंत 1090 या 181 नंबर पर कॉल कर मदद मांगनी चाहिए। नजदीकी पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करानी चाहिए।
Ans: हां, IPC की धारा 498A और Domestic Violence Act, 2005 के तहत यह स्पष्ट रूप से घरेलू हिंसा है।
Ans: हां, सरकार और महिला कल्याण विभाग की योजनाओं के तहत पीड़िता को आर्थिक सहायता व कानूनी मदद मिलती है।
Ans: कुछ धाराएं compoundable होती हैं लेकिन गंभीर मामलों जैसे 307 के अंतर्गत समझौता नहीं किया जा सकता।
Ans: हां, अगर पीड़िता अक्षम है या बोलने में असमर्थ है, तो उसके परिजन या पड़ोसी भी FIR दर्ज कर सकते हैं।
