
उत्तर प्रदेश के मथुरा जनपद में स्थित स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) की एक शाखा में ₹100 करोड़ रुपये का एक बड़ा बैंकिंग घोटाला सामने आया है। इस घोटाले का मुख्य आरोपी कोई बाहरी शातिर जालसाज नहीं बल्कि बैंक का ही एक क्लर्क है, जिसने वर्षों से भरोसे की डोर को तोड़ते हुए लाखों ग्राहकों की गाढ़ी कमाई से खिलवाड़ किया।
बैंक के वरिष्ठ अधिकारियों को पहले-पहल कुछ संदिग्ध ट्रांजैक्शनों की जानकारी मिली, जिसके बाद एक आंतरिक जांच बिठाई गई। मामला गंभीर होता गया और अंततः पुलिस एवं आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की टीम ने जांच को अपने हाथ में ले लिया। प्रारंभिक जांच में ₹100 करोड़ से भी अधिक की हेराफेरी की पुष्टि हो चुकी है।
घोटाले की रूपरेखा: कैसे किया गया ₹100 करोड़ का फ्रॉड
घोटाले की प्रकृति बेहद जटिल है, लेकिन मोटे तौर पर बैंकिंग सिस्टम में फर्जीवाड़ा निम्नलिखित तरीकों से किया गया:
- फर्जी अकाउंट्स की मदद से लेन-देन: आरोपी क्लर्क ने वर्षों से निष्क्रिय पड़े खातों को सक्रिय कर नकली खाताधारकों के नाम पर रकम ट्रांसफर की।
- RTGS/NEFT के माध्यम से बड़ी रकमें बाहर भेजी गईं।
- Core Banking System में छेड़छाड़ कर सिस्टम में चूक उत्पन्न की गई।
- कैश विदड्रॉल लिमिट में बदलाव कर मोटी रकम निकाली गई।
आरोपी कौन है और कब से कर रहा था हेराफेरी?
मथुरा की SBI शाखा में कार्यरत आरोपी क्लर्क का नाम (प्रकाशित नहीं किया गया है) अभी तक गोपनीय रखा गया है, लेकिन सूत्रों के अनुसार वह पिछले 10 वर्षों से इस बैंक में कार्यरत था।
उसकी पोस्टिंग एक ऐसी शाखा में थी, जहां रोजाना करोड़ों का लेन-देन होता है। उसे बैंकिंग सिस्टम की अच्छी जानकारी थी और इसी का फायदा उठाकर उसने कई वर्षों तक धीरे-धीरे यह घोटाला अंजाम दिया।
जांच का दायरा: SIT और EOW कर रही है छानबीन
घोटाले के खुलासे के बाद, जिला प्रशासन ने तुरंत एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया है। इसके अलावा:
- आर्थिक अपराध शाखा (EOW) की टीम भी मामले की जांच में जुट गई है।
- रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को भी जानकारी भेजी गई है।
- बैंक की आंतरिक ऑडिट टीम ने 5 साल के पुराने ट्रांजैक्शन रिव्यू शुरू कर दिए हैं।
बैंक की छवि पर प्रभाव और ग्राहकों की प्रतिक्रिया
इस घोटाले के बाद SBI की छवि पर बड़ा असर पड़ा है, विशेष रूप से मथुरा व आगरा रिजन में। कई ग्राहकों ने सोशल मीडिया पर अपनी चिंता व्यक्त की है। ग्राहकों को डर है कि कहीं उनके खातों की सुरक्षा भी खतरे में न हो।
हालांकि बैंक ने एक आधिकारिक बयान में स्पष्ट किया है कि “सभी ग्राहकों के फंड सुरक्षित हैं” और किसी भी प्रकार की क्षति की पूर्ति की जाएगी।
अब तक की कार्रवाई:
- आरोपी क्लर्क गिरफ्तार।
- SIT व EOW द्वारा पूछताछ जारी।
- बैंक ने 3 अन्य कर्मचारियों को भी पूछताछ के लिए निलंबित किया है।
- खाताधारकों के लॉग्स की विस्तृत समीक्षा की जा रही है।
भविष्य की आशंकाएं: क्या इसमें बड़ा नेटवर्क शामिल है?
SIT की प्रारंभिक रिपोर्ट में यह संभावना जताई गई है कि अकेले क्लर्क इस स्तर का घोटाला नहीं कर सकता, इसलिए इसमें:
- वरिष्ठ अधिकारियों की भूमिका की भी जांच हो रही है।
- बाहरी एजेंटों की मिलीभगत की संभावना जताई गई है।
- बैंकिंग सिस्टम में साइबर लूपहोल्स की भी समीक्षा चल रही है।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
हाँ, SBI ने यह स्पष्ट किया है कि सभी ग्राहकों का पैसा पूरी तरह सुरक्षित है।
आरोपी क्लर्क को जुलाई 2025 के अंतिम सप्ताह में गिरफ्तार किया गया।
SIT और EOW द्वारा जांच की जा रही है कि इसमें कोई नेटवर्क या अन्य कर्मचारी भी शामिल थे या नहीं।
हाँ, RBI को सूचना भेजी जा चुकी है और वह अपनी स्वतंत्र जांच कर सकता है।
प्रारंभिक जांच के अनुसार, यह घोटाला पिछले 5 से 7 वर्षों से चरणबद्ध तरीके से चल रहा था।
निष्कर्ष:
मथुरा का यह ₹100 करोड़ का बैंक घोटाला न केवल SBI के लिए बल्कि देश की समग्र बैंकिंग प्रणाली के लिए एक चेतावनी है। ऐसे मामलों से यह स्पष्ट होता है कि सुरक्षा मानकों को और सख्त करने की आवश्यकता है। साथ ही, यह भी जरूरी है कि कर्मचारियों की गतिविधियों की समय-समय पर समीक्षा की जाए।
