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Shop Construction/Operation Scheme 2025: उत्तर प्रदेश में दिव्यांगजनों को स्वरोजगार के लिए ₹2 लाख तक की आर्थिक सहायता



भूमिका: दिव्यांगजनों के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा में बड़ा कदम

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उत्तर प्रदेश सरकार ने दिव्यांगजनों (Persons with Disabilities – PwDs) के पुनर्वास और आर्थिक सशक्तिकरण के लिए 2025 में एक नई योजना की शुरुआत की है – Shop Construction/Shop Operation Scheme। इस योजना के तहत दिव्यांगजनों को अपनी आजीविका शुरू करने के लिए सरकार ₹2 लाख तक की आर्थिक सहायता प्रदान करती है। योजना का उद्देश्य दिव्यांगजनों को स्वरोजगार के लिए प्रेरित करना और उन्हें समाज की मुख्यधारा से जोड़ना है।

दिव्यांगता के कारण अधिकांश व्यक्तियों को नौकरी के अवसर सीमित मिलते हैं। ऐसे में स्वरोजगार एक स्थायी समाधान है। इस योजना से लाभ उठाकर लाभार्थी किराये की दुकान ले सकते हैं, खुद की दुकान बना सकते हैं या संचालन के लिए आवश्यक उपकरण व सामग्री खरीद सकते हैं।


योजना की प्रमुख विशेषताएं

बिंदुविवरण
योजना का नामShop Construction/Shop Operation Scheme for Rehabilitation of PwDs
लागू करने वाला विभागदिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग, उत्तर प्रदेश सरकार
वर्ष2025
लाभार्थीन्यूनतम 40% दिव्यांगता वाले उत्तर प्रदेश निवासी
अधिकतम वित्तीय सहायता₹2,00,000
सहायता का प्रकारएकमुश्त अनुदान (Non-Refundable)
उद्देश्यदिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाना और स्वरोजगार के अवसर देना
आवेदन प्रक्रियाऑफलाइन व ऑनलाइन दोनों माध्यम

योजना का उद्देश्य और लाभ

आत्मनिर्भरता की ओर पहला कदम

Shop Construction/Shop Operation Scheme 2025 का प्रमुख उद्देश्य दिव्यांगजनों को आत्मनिर्भर बनाना है ताकि वे दूसरों पर निर्भर न रहकर खुद का व्यापार शुरू कर सकें। योजना स्वरोजगार को प्रोत्साहन देती है और उन्हें सामाजिक सम्मान दिलाने में भी सहायक है।

स्थायी आय का स्रोत

दुकान खोलने की सहायता मिलने से दिव्यांगजन अपनी आजीविका चला सकते हैं, जिससे उनकी आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और वे गरीबी रेखा से ऊपर आ सकते हैं।

सामाजिक समावेशन

इस योजना के जरिए दिव्यांग व्यक्तियों को समाज की मुख्यधारा में शामिल किया जाता है जिससे उन्हें समान अवसर मिलते हैं।


पात्रता मानदंड

इस योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए निम्नलिखित शर्तें पूरी होनी चाहिए:

  1. स्थायी निवास: आवेदक उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
  2. दिव्यांगता प्रमाणपत्र: न्यूनतम 40% दिव्यांगता आवश्यक है। UDID कार्ड या राज्य सरकार द्वारा प्रमाणित प्रमाणपत्र मान्य होगा।
  3. आयु सीमा: आवेदक की आयु 18 से 60 वर्ष के बीच होनी चाहिए।
  4. रोजगार स्थिति: आवेदक किसी सरकारी सेवा में कार्यरत न हो और स्वरोजगार का इच्छुक हो।
  5. पहली बार लाभ: एक व्यक्ति को योजना का लाभ एक ही बार मिलेगा।

आवश्यक दस्तावेज़

योजना के अंतर्गत आवेदन करने के लिए निम्नलिखित दस्तावेज़ जरूरी होंगे:

  • आधार कार्ड
  • स्थायी निवास प्रमाणपत्र (UP में जारी)
  • दिव्यांगता प्रमाणपत्र या UDID कार्ड
  • पासपोर्ट साइज फोटो
  • बैंक पासबुक की कॉपी (IFSC कोड सहित)
  • आय प्रमाण पत्र
  • योजना के लिए आवेदन पत्र (ऑनलाइन/ऑफलाइन फॉर्म)

योजना के अंतर्गत मिलने वाली सहायता

  1. अधिकतम सहायता राशि: ₹2 लाख तक की अनुदान राशि।
  2. उपयोग के क्षेत्र:
    • खुद की दुकान का निर्माण
    • किराये की दुकान में advance जमा
    • दुकान संचालन हेतु फर्नीचर, शेल्फ, कंप्यूटर, POS मशीन, मशीनरी, फ्रिज, सामान आदि की खरीद।
  3. अनुदान का प्रकार: यह राशि Non-refundable subsidy के रूप में दी जाती है।
  4. लाभ एक बार के लिए: लाभार्थी केवल एक बार योजना का लाभ ले सकता है।

आवेदन की प्रक्रिया

ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया

  1. जिला दिव्यांगजन सशक्तिकरण अधिकारी (D.D.O.) के कार्यालय से आवेदन फॉर्म प्राप्त करें।
  2. सभी जरूरी दस्तावेज़ संलग्न करें।
  3. आवेदन फॉर्म भरकर संबंधित जिला कार्यालय में जमा करें।
  4. आवेदनों की स्क्रीनिंग और वेरिफिकेशन के बाद जिला स्तरीय समिति सहायता को स्वीकृति प्रदान करती है।

ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया

  1. उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग की वेबसाइट पर जाएं।
  2. योजना वाले सेक्शन में “Shop Construction/Operation Scheme” चुनें।
  3. ऑनलाइन फॉर्म भरें और जरूरी दस्तावेज़ अपलोड करें।
  4. आवेदन सबमिट करें और आवेदन नंबर सुरक्षित रखें।

योजना के प्रभाव और लाभार्थी अनुभव

ललितपुर की उदाहरण कहानी

ललितपुर जिले की रहने वाली रमा देवी जो 55% दिव्यांग थीं, उन्हें इस योजना से ₹1.8 लाख की सहायता मिली। उन्होंने किराये की दुकान लेकर उसमें महिला वस्त्रों का व्यवसाय शुरू किया। अब उनकी मासिक आय ₹15,000 से अधिक है।

गोरखपुर से रमेश का उदाहरण

रमेश कुमार, एक 40 वर्षीय दिव्यांग व्यक्ति ने इस योजना के अंतर्गत ₹2 लाख की सहायता से मोबाइल रिपेयरिंग और एक्सेसरीज़ की दुकान खोली। अब वह स्वयं के बलबूते अपना और अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे हैं।


योजना के सामाजिक और आर्थिक लाभ

  1. दिव्यांगजन सशक्तिकरण: आर्थिक आत्मनिर्भरता के साथ सामाजिक सम्मान भी प्राप्त होता है।
  2. बेरोजगारी में कमी: दिव्यांगजनों को नौकरी की तलाश नहीं करनी पड़ती, वे खुद रोजगार सृजित करते हैं।
  3. स्थानीय अर्थव्यवस्था में योगदान: ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में छोटे व्यापारों को बढ़ावा मिलता है।
  4. समावेशी विकास: समाज के सभी वर्गों को विकास की मुख्यधारा में शामिल किया जाता है।

योजना की चुनौतियाँ और सुझाव

चुनौतियाँ:

  • जागरूकता की कमी: अभी भी ग्रामीण क्षेत्रों में बहुत कम लोगों को इस योजना की जानकारी है।
  • फॉर्म की प्रक्रिया जटिल लगती है, जिससे अपात्र लोग भी आवेदन कर बैठते हैं।
  • जिला कार्यालयों में स्टाफ की कमी के कारण कई बार आवेदन लंबित रह जाते हैं।

सुझाव:

  • पंचायत स्तर पर योजना की जानकारी देने के लिए जागरूकता अभियान चलाया जाए।
  • आवेदन प्रक्रिया को और सरल और डिजिटल किया जाए।
  • योजना का प्रचार सरकारी विद्यालयों, सामुदायिक केंद्रों और दिव्यांगजन संगठनों के माध्यम से किया जाए।

अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)

प्र. 1: क्या मैं किराये की दुकान के लिए भी योजना का लाभ ले सकता हूं?

हाँ, अगर आप दुकान किराये पर लेकर चलाना चाहते हैं तो योजना की राशि से advance जमा किया जा सकता है।

प्र. 2: क्या यह योजना पूरे उत्तर प्रदेश में लागू है?

हाँ, योजना राज्यभर में शहरी व ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में लागू है।

प्र. 3: क्या योजना के लिए कोई फीस देनी होती है?

नहीं, आवेदन पूर्णतः निशुल्क है।

प्र. 4: क्या महिला लाभार्थियों को प्राथमिकता मिलेगी?

हाँ, महिला, अनुसूचित जाति/जनजाति, ओबीसी व अत्यंत निर्धन लाभार्थियों को वरीयता दी जाती है।

प्र. 5: क्या योजना की राशि सीधे बैंक खाते में आती है?

हाँ, राशि सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में DBT के माध्यम से ट्रांसफर की जाती है।


निष्कर्ष

Shop Construction/Shop Operation Scheme for Rehabilitation of PwDs – Uttar Pradesh 2025 दिव्यांगजनों के लिए एक सशक्त और सकारात्मक पहल है जो उन्हें आत्मनिर्भर बनाकर समाज में एक सम्मानित स्थान दिलाती है। यदि आप या आपके किसी परिचित को इसकी ज़रूरत है, तो समय रहते आवेदन करें। यह योजना दिव्यांगजनों के जीवन में आर्थिक स्थिरता और आत्मसम्मान लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है।


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