उत्तर प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज सिंह का कार्यकाल 31 जुलाई 2025 को समाप्त हो रहा है, और इसके साथ ही राज्य की नौकरशाही में बदलाव की चर्चाएं तेज हो गई हैं। इस पद के उत्तराधिकारी को लेकर प्रशासनिक गलियारों में कयासबाज़ी तेज है। ऐसे समय में जब राज्य में कई महत्वपूर्ण परियोजनाएं चल रही हैं और 2027 के विधानसभा चुनावों की तैयारियां भी शुरू हो चुकी हैं, नया मुख्य सचिव कौन होगा — यह एक बड़ा सवाल है। आइए इस पूरे परिदृश्य को विस्तार से समझते हैं।

उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव की भूमिका
उत्तर प्रदेश की प्रशासनिक मशीनरी को direction देने और उसे ground level पर execute कराने में Chief Secretary की भूमिका सबसे बड़ी होती है। यह पद केवल symbolic नहीं होता बल्कि strategic और executive decision-making की core में होता है।
- Chief Secretary सीधे मुख्यमंत्री और मंत्रिमंडल के साथ समन्वय स्थापित करता है
- सभी विभागीय Secretaries को superintend करता है
- राज्य स्तरीय नीतियों को implementation में लाता है
- Inter-departmental coordination और conflict resolution करता है
Manoj Singh, एक 1989-batch IAS अधिकारी, ने अपने tenure के दौरान कई अहम योजनाओं को ground level तक पहुँचाया, जैसे कि:
- PM Gati Shakti Yojana का effective rollout
- ODOP (One District One Product) को national model बनाना
- Global Investors Summit में administrative backbone का काम करना
मनोज सिंह का कार्यकाल: एक दृष्टि
मनोज कुमार सिंह एक वरिष्ठ IAS अधिकारी हैं, जिन्होंने अपने करियर में कई अहम जिम्मेदारियां निभाई हैं। वे 1988 बैच के IAS अधिकारी हैं और उन्होंने कई प्रमुख विभागों जैसे ग्राम विकास, पंचायती राज, जल शक्ति और अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास विभाग में सेवाएं दी हैं।
मुख्य सचिव के रूप में उनका कार्यकाल विशेष रूप से प्रभावशाली रहा है:
- ODOP (One District One Product) जैसी योजनाओं में तेजी
- निवेश और औद्योगिक विकास की प्रक्रिया में सुधार
- लॉ एंड ऑर्डर के मुद्दों पर मुख्यमंत्री के साथ बेहतर तालमेल
- G20 समिट की तैयारियों में नेतृत्व
मनोज सिंह का कार्यकाल: Administrative Highlights
| Year | Major Administrative Milestone |
|---|---|
| 2021 | Chief Secretary बने और GSDP सुधार प्रक्रिया तेज की |
| 2022 | UPEIDA और Expressway Monitoring को streamlined किया |
| 2023 | Viksit Bharat@2047 के तहत Industrial Clusters को push किया |
| 2024 | Global Investors Summit 2024 का सफल संचालन किया |
| 2025 | अंत में ODOP और Ease of Doing Business में यूपी को national लीडर बनाया |
संभावित उत्तराधिकारी कौन?
मनोज सिंह के रिटायरमेंट के बाद कौन अगला मुख्य सचिव होगा, इसे लेकर कई नाम चर्चा में हैं। इनमें प्रमुख नाम हैं:
- देवेश चतुर्वेदी (IAS, 1989 बैच) – वर्तमान में भारत सरकार में सेवाएं दे रहे हैं। उनका प्रशासनिक अनुभव और नीति निर्माण में पकड़ उन्हें एक मजबूत उम्मीदवार बनाती है।
- संजय अग्रवाल (IAS, 1988 बैच) – कृषि मंत्रालय में सचिव रहे हैं, परन्तु सेवा विस्तार की संभावना कम है।
- आर. के. तिवारी (पूर्व मुख्य सचिव) – हालांकि रिटायर हो चुके हैं, लेकिन सरकार विशेष परिस्थिति में दोबारा सेवा में ला सकती है।
- अनिल कुमार सागर, अमित मोहन प्रसाद और राजेश कुमार सिंह जैसे नाम भी चर्चाओं में हैं।
राजनीतिक संकेत क्या कहते हैं?
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का प्रशासनिक कार्यशैली पर स्पष्ट प्रभाव है। वे एक तेज, decisive और corruption-free प्रशासन चाहते हैं। ऐसे में नया मुख्य सचिव:
- मुख्यमंत्री के विज़न को अच्छी तरह समझने वाला होना चाहिए
- पुलिस और प्रशासन के बीच बेहतर समन्वय बना सके
- निवेश, रोजगार और बुनियादी ढांचे के मिशनों को गति दे सके
एक्सटेंशन या नया नियुक्ति?
मनोज सिंह को सेवा विस्तार देने की संभावनाएं पूरी तरह से खत्म नहीं हुई हैं। कई बार राज्य सरकार अनुभव और स्थिरता को देखते हुए मुख्य सचिव को 6 महीने या 1 साल का extension देती रही है। उदाहरण के तौर पर:
- पूर्व मुख्य सचिव आर.के. तिवारी को भी सेवा विस्तार मिला था
- COVID-19 के दौरान प्रशासनिक निरंतरता के लिए कई राज्यों में ऐसे निर्णय लिए गए थे
हालांकि केंद्र सरकार और राज्य सरकार की सहमति के बिना यह संभव नहीं होता, इसलिए यह निर्णय जल्द ही लिया जाना जरूरी है।
नवीन मुख्य सचिव से क्या उम्मीदें होंगी?
- निवेश और उद्योग: यूपी में ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के बाद कई प्रोजेक्ट्स पाइपलाइन में हैं। नए मुख्य सचिव को उन्हें धरातल पर लाना होगा।
- बुनियादी ढांचा: पूर्वांचल एक्सप्रेसवे, बुंदेलखंड एक्सप्रेसवे जैसे प्रोजेक्ट्स को समय पर पूरा कराना।
- कानून-व्यवस्था: यूपी में सांप्रदायिक तनाव और संगठित अपराध को नियंत्रित करना।
- ई-गवर्नेंस: जनकल्याण योजनाओं में टेक्नोलॉजी का अधिक प्रयोग।
- विधानसभा चुनाव 2027 की तैयारी:
- निष्पक्ष और व्यवस्थित चुनाव
- आचार संहिता का अनुपालन
संविधानिक प्रक्रिया और चयन का आधार
मुख्य सचिव की नियुक्ति का अधिकार राज्य सरकार के पास होता है, लेकिन इसकी औपचारिक सहमति केंद्र सरकार (DOPT) से लेनी होती है। इसके लिए:
- वरिष्ठता सूची
- कार्य प्रदर्शन रिपोर्ट
- प्रशासनिक आवश्यकता
इन सभी का मूल्यांकन किया जाता है।
IAS संघों और वरिष्ठ अधिकारियों की राय भी कभी-कभी इस प्रक्रिया में अहम भूमिका निभाती है।
विकल्पों पर विचार: कौन हो सकता है अगला Chief Secretary?
1️⃣ दीपक कुमार (1989 batch, retiring in 2026)
Currently serving as Agriculture Production Commissioner. Known for his work in rural economy and food logistics.
2️⃣ अनिता सिंह (1990 batch)
Principal Secretary (Finance), strong in fiscal reform and budgetary planning. Political acceptability भी अच्छी मानी जाती है।
3️⃣ अरविंद मोहन (1991 batch)
Currently in central deputation but considered a reformist and digital governance enthusiast.
4️⃣ In-House Extension?
कुछ reports के मुताबिक, सरकार Manoj Singh को एक बार फिर short-term extension भी दे सकती है, अगर कोई replacement फाइनल नहीं होता।
FAQs:
Ans: सामान्यतः 60 वर्ष होती है, लेकिन विशेष मामलों में सेवा विस्तार संभव होता है।
Ans: अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन संभावना बनी हुई है।
Ans: 31 जुलाई से पहले या उसी दिन तक निर्णय लिए जाने की संभावना है।
Ans: हां, राज्य सरकार विशेष परिस्थिति में केंद्र में तैनात अधिकारी को भी बुला सकती है।
निष्कर्ष
उत्तर प्रदेश में मुख्य सचिव का चयन केवल एक प्रशासनिक निर्णय नहीं, बल्कि राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण होता है। मनोज सिंह जैसे अनुभवी अधिकारी के बाद यह देखना दिलचस्प होगा कि राज्य सरकार किसे इस पद की जिम्मेदारी सौंपती है।
नए मुख्य सचिव से जनता, प्रशासन और राजनीतिक नेतृत्व को बड़ी उम्मीदें होंगी — विशेष रूप से ऐसे समय में जब उत्तर प्रदेश बड़े बदलावों और नई नीतियों के दौर से गुजर रहा है।
