
उत्तर प्रदेश में मानसून का कहर एक बार फिर कहर बनकर टूटा है। शुक्रवार को केवल 1 घंटे की बारिश में राजधानी लखनऊ की सड़कों ने नदियों का रूप ले लिया। इसी के साथ IMD (भारतीय मौसम विभाग) ने प्रदेश के 14 ज़िलों में Heavy Rain Alert जारी किया है। स्थिति इतनी भयावह हो गई कि कई इलाकों में घरों में पानी घुस गया, ट्रैफिक पूरी तरह से ठप हो गया और जन-जीवन अस्त-व्यस्त हो गया।
किन जिलों में भारी बारिश का अलर्ट?
14 जिलों की लिस्ट जहां रेड अलर्ट जारी
IMD द्वारा जिन ज़िलों में Heavy to Very Heavy Rain का अनुमान जताया गया है, उनमें शामिल हैं:
- लखनऊ
- बाराबंकी
- उन्नाव
- सीतापुर
- हरदोई
- लखीमपुर खीरी
- बहराइच
- गोंडा
- बलरामपुर
- श्रावस्ती
- अमेठी
- रायबरेली
- सुल्तानपुर
- फैजाबाद (अयोध्या)
रेड और ऑरेंज अलर्ट का अर्थ क्या होता है?
- Red Alert: Extremely heavy rain की आशंका। लोगों को घर से बाहर न निकलने की सलाह।
- Orange Alert: Heavy rain संभव है। चेतावनी दी जाती है, लेकिन स्थिति नियंत्रण में मानी जाती है।
Rainfall Data – जुलाई 2025
| जिला | वर्षा (मिमी) | स्थिति |
|---|---|---|
| लखनऊ | 114 mm | Severe Flooding |
| बहराइच | 97 mm | Urban Waterlogging |
| लखीमपुर | 89 mm | Crop Damage Risk |
प्रभावित क्षेत्रों में क्या हो रहा है?
- लखनऊ में हज़रतगंज, आलमबाग, अमीनाबाद में जलभराव
- स्कूलों में पानी घुसा
- बिजली आपूर्ति बाधित
लखनऊ में क्यों हुई इतनी बुरी स्थिति?
1 घंटे में 114 mm बारिश – क्या Drainage सिस्टम फेल हो गया?
- Drainage system की सफाई ना होना और plastic clogging मुख्य कारण
- कई इलाकों में नालियों की क्षमता कम
नगर निगम और प्रशासन की तैयारी की पोल खुली
- पिछले 3 वर्षों से “Urban Flood Mitigation Plan” प्रस्तावित था
- परन्तु अभी तक फंड रिलीज़ नहीं हुआ
सोशल मीडिया पर वायरल हुई तस्वीरें और वीडियो
- मेट्रो स्टेशन के अंदर तक पानी घुसा
- लोग नाव की जगह ट्यूब से सड़कों पर तैरते नज़र आए
एक्सपर्ट की राय
“Climate pattern में बदलाव और बेतरतीब शहरीकरण बाढ़ की मुख्य वजह हैं” – डॉ. राजीव मिश्रा, मौसम वैज्ञानिक
प्रशासन की ओर से राहत और बचाव कार्य
NDRF और SDRF को एक्टिव किया गया
- लखनऊ और बहराइच में तैनाती
- बोट और हाई-प्रेशर पंप लगाए गए
स्वास्थ्य विभाग की एडवाइजरी
- गंदे पानी से बचें
- डेंगू और जलजनित बीमारियों से सतर्क रहें
कंट्रोल रूम और हेल्पलाइन नंबर
- लखनऊ कंट्रोल रूम: 0522-2239488
- आपातकालीन सेवा: 112
स्कूलों की छुट्टी घोषित
- प्राथमिक विद्यालय 2 दिन बंद
- ऑनलाइन क्लासेस की अनुमति
भारी बारिश का आर्थिक और सामाजिक प्रभाव
फसलों पर बुरा असर
- धान की बुवाई बाधित
- पशुधन को भी खतरा
कच्चे मकान क्षतिग्रस्त
- बाराबंकी में 22 घर ढहे
- ग्रामीण क्षेत्रों में विस्थापन
यातायात व्यवस्था चरमराई
- NH-24 और लखनऊ-कानपुर हाईवे पर जाम
- रेलवे ट्रैक डूबे
अनुमानित नुकसान
| क्षेत्र | अनुमानित क्षति (₹) |
|---|---|
| लखनऊ | ₹25 करोड़ |
| बहराइच और लखीमपुर | ₹18 करोड़ |
| अन्य 11 जिले | ₹32 करोड़ (संयुक्त) |
FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल
हर 6 घंटे में अपडेट जारी होता है, जिसे आप IMD की वेबसाइट या टेलीग्राम चैनल से देख सकते हैं।
ज़्यादातर जिलों में 27 और 28 जुलाई को छुट्टी की घोषणा की गई है। अपडेट के लिए जिला प्रशासन की वेबसाइट देखें।
प्रमुख मार्गों पर जाम है। रेलवे की कुछ ट्रेनों को डायवर्ट किया गया है।
हाँ, प्रशासन ने फ्लड इवैक्यूएशन और फूड पैकेट्स की व्यवस्था शुरू कर दी है।
निष्कर्ष (Nishkarsh)
उत्तर प्रदेश में जुलाई 2025 की भारी बारिश ने एक बार फिर राज्य के आपदा प्रबंधन और शहरी योजनाओं की वास्तविक स्थिति को उजागर कर दिया है। मात्र 1 घंटे की बारिश में राजधानी लखनऊ की सड़कों का जलमग्न हो जाना यह दर्शाता है कि ड्रेनेज सिस्टम और शहरी नियोजन में कितनी खामियाँ हैं।
14 जिलों में रेड अलर्ट जारी होने का मतलब सिर्फ मौसम का बदलना नहीं, बल्कि एक सिस्टम अलर्ट भी है — कि हमें अब भविष्य की आपदाओं के लिए सुनियोजित तैयारी करनी होगी।
प्रशासन को चाहिए कि वह सिर्फ राहत कार्य पर नहीं, बल्कि पूर्व चेतावनी प्रणाली, नालियों की समय पर सफाई, और इन्फ्रास्ट्रक्चर अपग्रेड जैसे स्थायी समाधानों पर ध्यान केंद्रित करे।
साथ ही आम नागरिकों को भी चाहिए कि वे प्रशासनिक एडवाइजरी का पालन करें, जलजनित रोगों से बचें और किसी भी आपात स्थिति में स्थानीय कंट्रोल रूम से संपर्क करें।
भविष्य की बारिश सिर्फ पानी नहीं लाती, वह व्यवस्था की परीक्षा भी लेकर आती है।
