अपडेट: 1 अगस्त 2025

प्रस्तावना:
उत्तर प्रदेश में इस बार मॉनसून की चाल कुछ अलग ही दिख रही है। जहां जून और जुलाई महीने में बारिश की उम्मीदें थीं, वहीं हकीकत इससे काफी अलग रही। राज्य में मॉनसून सीजन के दो प्रमुख महीनों में 26% कम बारिश दर्ज की गई है। 1 अगस्त को राजधानी लखनऊ सहित कुछ इलाकों में ज़रूर अच्छी बारिश हुई, लेकिन अब मौसम विभाग ने “मॉनसून ब्रेक” जैसे संकेत दिए हैं।
जून-जुलाई में बारिश क्यों रही कम?
1. El Niño प्रभाव:
El Niño का प्रभाव अभी भी बना हुआ है, जिससे समुद्री तापमान में बदलाव होता है और भारत में मॉनसून कमजोर पड़ सकता है।
2. हवा के रुख में बदलाव:
दक्षिण-पश्चिमी हवाओं की गति धीमी होने के कारण बादल अपेक्षित तरीके से उत्तर भारत नहीं पहुंच सके।
3. चक्रवाती सिस्टम की कमी:
जून-जुलाई में किसी भी प्रमुख चक्रवात या लो-प्रेशर सिस्टम का न बनना भी एक बड़ा कारण रहा।
4. ग्लोबल क्लाइमेट चेंज:
जलवायु परिवर्तन के चलते मौसम चक्र में अस्थिरता बढ़ रही है। बारिश के पैटर्न में भी बदलाव देखा जा रहा है।
कहां-कितनी बारिश हुई अब तक? (जून-जुलाई 2025)
| ज़िला | सामान्य वर्षा (mm) | वास्तविक वर्षा (mm) | कमी (%) |
|---|---|---|---|
| लखनऊ | 265 | 178 | -33% |
| कानपुर | 240 | 160 | -33% |
| गोरखपुर | 310 | 222 | -28% |
| वाराणसी | 295 | 225 | -24% |
| मेरठ | 280 | 201 | -28% |
आंकड़े स्रोत: IMD (India Meteorological Department)
आगे कैसा रहेगा मौसम? IMD का पूर्वानुमान
1. अगस्त में बारिश सामान्य से कम:
IMD के अनुसार, अगस्त के पहले पखवाड़े में बारिश की गतिविधियां सीमित रह सकती हैं। मध्य और पूर्वी यूपी में कुछ छिटपुट बारिश की संभावना है।
2. मॉनसून ब्रेक की संभावना:
1 अगस्त की भारी बारिश के बाद IMD ने मॉनसून ब्रेक के संकेत दिए हैं। इसका मतलब है कि कुछ दिन तक बारिश नहीं होगी या बेहद हल्की रहेगी।
3. तापमान में बढ़ोत्तरी:
बारिश में कमी के कारण अधिकतम तापमान में इजाफा देखा जा सकता है, जिससे उमस और गर्मी बढ़ेगी।
4. शहरी इलाकों में जलभराव का खतरा:
जहां बारिश हो रही है, वहां ड्रेनेज की समस्याओं के कारण शहरी बाढ़ की स्थिति बन सकती है।
विशेषज्ञ क्या कहते हैं?
“UP में मॉनसून की धीमी चाल का मुख्य कारण वैश्विक जलवायु परिस्थितियां हैं। हालांकि अगस्त के अंत तक कुछ राहत मिल सकती है।”
– डॉ. एस.के. शर्मा, मौसम वैज्ञानिक, IMD लखनऊ
“कम बारिश का सीधा असर खेती पर पड़ सकता है, खासकर धान की फसल पर। किसानों को वैकल्पिक फसलों की ओर ध्यान देना होगा।”
– प्रो. आर.के. यादव, कृषि विश्वविद्यालय, कानपुर
खेती पर असर: किसान क्या करें?
1. वैकल्पिक फसलें अपनाएं:
धान के बजाय बाजरा, ज्वार, या दालों की खेती करें जो कम पानी में भी हो सकती हैं।
2. जल संरक्षण:
बारिश के पानी को संरक्षित करें – तालाब, जल कुंड और रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम अपनाएं।
3. ड्रिप इरिगेशन:
कम पानी में अधिक उपज के लिए ड्रिप सिंचाई तकनीक का उपयोग करें।
4. कृषि सलाह केंद्रों से संपर्क:
राज्य सरकार द्वारा संचालित कृषि हेल्पलाइन और कृषि विज्ञान केंद्रों से नियमित सलाह लें।
शहरी जनता क्या करे?
1. जलभराव से बचाव:
बारिश से पहले अपने घरों और छतों की ड्रेनेज व्यवस्था जांच लें।
2. बिजली उपकरणों से सावधानी:
भारी बारिश के समय खुले बिजली उपकरणों का प्रयोग न करें।
3. सफर की योजना सावधानी से बनाएं:
मॉनसून ब्रेक के बावजूद अचानक बारिश हो सकती है, इसलिए रेनकोट और छाता साथ रखें।
4. पेयजल की सुरक्षा:
बारिश के पानी के संपर्क से पीने का पानी दूषित हो सकता है – फिल्टर या उबाल कर ही उपयोग करें।
निष्कर्ष:
उत्तर प्रदेश में इस वर्ष मॉनसून की चाल कमजोर रही है। जून-जुलाई में 26% तक बारिश कम होना चिंता का विषय है, खासकर खेती और शहरी जीवन के लिए। हालांकि 1 अगस्त को कुछ राहत की बारिश ज़रूर हुई, लेकिन IMD ने मॉनसून ब्रेक के संकेत दे दिए हैं। ऐसे में जरूरी है कि सरकार, किसान और आम नागरिक मिलकर इससे निपटने की योजना बनाएं।
FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)
IMD के अनुसार, अगस्त में बारिश सामान्य से कम रह सकती है, हालांकि महीने के अंत में थोड़ी सक्रियता देखी जा सकती है।
सबसे ज्यादा असर खेती पर, खासकर धान की फसल पर पड़ेगा।
जब कुछ दिनों तक कोई सक्रिय सिस्टम न बने और बारिश बंद हो जाए या बहुत कम हो, तो उसे मॉनसून ब्रेक कहते हैं।
हां, अगर बारिश थोड़ी देर में ज्यादा होती है, तो ड्रेनेज खराब होने के कारण जलभराव की समस्या हो सकती है।
किसानों को जल संरक्षण तकनीक अपनानी चाहिए और कम पानी वाली फसलों की ओर झुकाव रखना चाहिए।
