उत्तर प्रदेश सरकार ने किसानों की सिंचाई से जुड़ी समस्याओं को दूर करने के लिए एक बड़ी पहल की है – “मुफ्त बोरिंग योजना 2025”। इस योजना के अंतर्गत छोटे और सीमांत किसानों को उनके खेतों में मुफ्त बोरिंग कराई जाएगी और ₹10,000 तक की सब्सिडी (Subsidy) भी प्रदान की जाएगी।
यह योजना खासतौर पर उन किसानों के लिए शुरू की गई है जो निजी बोरवेल करवाने में असमर्थ हैं। सरकार का उद्देश्य है कि हर किसान को समय पर सिंचाई की सुविधा मिले और वह खेती को लाभदायक बना सके।

योजना का उद्देश्य (Objective of the Scheme)
उत्तर प्रदेश मुफ्त बोरिंग योजना 2025 का प्रमुख उद्देश्य है:
- सिंचाई के साधनों को सुलभ बनाना
- खेती में जल की उपलब्धता को सुनिश्चित करना
- किसानों की आर्थिक लागत को कम करना
- कृषि उत्पादकता को बढ़ावा देना
- ग्रामीण क्षेत्रों में आजीविका के स्तर को सुधारना
योजना की मुख्य विशेषताएं (Key Features)
| विशेषता | विवरण |
|---|---|
| योजना का नाम | उत्तर प्रदेश मुफ्त बोरिंग योजना 2025 |
| शुरूआत | उत्तर प्रदेश कृषि विभाग |
| लाभार्थी | छोटे और सीमांत किसान |
| सहायता | मुफ्त बोरिंग और ₹10,000 तक की सब्सिडी |
| आवेदन प्रक्रिया | ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों माध्यम से |
| कार्यान्वयन एजेंसी | जिला कृषि कार्यालय और ग्राम पंचायत |
पात्रता मानदंड (Eligibility Criteria)
- राज्य की नागरिकता: आवेदनकर्ता उत्तर प्रदेश का स्थायी निवासी होना चाहिए।
- भूमि स्वामित्व: आवेदक के पास खुद की कृषि योग्य भूमि होनी चाहिए।
- किसान वर्ग: केवल छोटे (1 हेक्टेयर से कम भूमि) और सीमांत (2 हेक्टेयर से कम भूमि) किसान पात्र हैं।
- आय प्रमाणपत्र: किसान की वार्षिक पारिवारिक आय ₹2 लाख से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- सामाजिक वर्ग: SC, ST, OBC और अन्य वंचित वर्गों को प्राथमिकता दी जाती है।
- पहले लाभ न लिया हो: इस योजना का लाभ सिर्फ एक बार ही लिया जा सकता है।
आवेदन की प्रक्रिया (Application Process)
योजना में आवेदन दो तरीकों से किया जा सकता है – ऑनलाइन और ऑफलाइन।
1. ऑनलाइन आवेदन प्रक्रिया:
- आधिकारिक कृषि पोर्टल पर जाएं (उदाहरण के लिए: upagriculture.gov.in)
- “मुफ्त बोरिंग योजना” के लिंक पर क्लिक करें
- नया पंजीकरण करें और लॉगिन करें
- आवश्यक विवरण भरें और दस्तावेज़ अपलोड करें
- सबमिट बटन पर क्लिक कर दें
- आवेदन की रसीद डाउनलोड करें
2. ऑफलाइन आवेदन प्रक्रिया:
- नजदीकी कृषि कार्यालय या ग्राम पंचायत से आवेदन फ़ॉर्म लें
- फ़ॉर्म में मांगी गई सभी जानकारी भरें
- आवश्यक दस्तावेज़ों को संलग्न करें
- कार्यालय में जमा करें और रसीद प्राप्त करें
आवश्यक दस्तावेज़ (Required Documents)
- आधार कार्ड
- खतौनी (भूमि का प्रमाण)
- जाति प्रमाण पत्र (SC/ST/OBC हेतु)
- निवास प्रमाण पत्र
- पासपोर्ट साइज फोटो
- बैंक पासबुक की कॉपी
- मोबाइल नंबर
कार्यान्वयन प्रक्रिया (Implementation Process)
- आवेदन की जांच: कृषि विभाग द्वारा आवेदन और दस्तावेज़ों की सत्यता की जांच की जाती है।
- स्थल निरीक्षण: तकनीकी सहायक खेत का निरीक्षण करता है कि बोरिंग संभव है या नहीं।
- मशीन की उपलब्धता: मंजूरी के बाद बोरिंग मशीन भेजी जाती है।
- बोरिंग कार्य: निर्धारित मानकों के अनुसार बोरिंग कराई जाती है।
- सब्सिडी ट्रांसफर: ₹10,000 तक की सब्सिडी सीधे लाभार्थी के बैंक खाते में भेजी जाती है।
योजना से जुड़े आंकड़े और रिपोर्ट (Data and Reports)
- वर्ष 2024 में 1.5 लाख से अधिक किसानों को इस योजना से लाभ प्राप्त हुआ।
- योजना का कुल बजट ₹800 करोड़ रखा गया है।
- एक अनुमान के अनुसार बोरिंग के बाद सिंचाई लागत में 30% तक की गिरावट देखी गई।
- कृषि विभाग की रिपोर्ट के अनुसार बोरवेल से सिंचित फसलों में उत्पादन दर 2 गुना तक बढ़ी है।
योजना के लाभ (Benefits of Free Boring Yojana)
- सिंचाई की सुविधा: किसानों को खेतों में खुद का जल स्रोत उपलब्ध होता है।
- उत्पादन में वृद्धि: समय पर सिंचाई से फसल की पैदावार में इजाफा होता है।
- आर्थिक लाभ: ₹10,000 की सब्सिडी से बोरिंग खर्च लगभग शून्य हो जाता है।
- समय की बचत: किसानों को प्राइवेट टैंकर या डीजल पंप पर निर्भर नहीं रहना पड़ता।
- स्थायी समाधान: बोरवेल लंबे समय तक उपयोगी रहता है।
सामाजिक और आर्थिक प्रभाव (Socio-Economic Impact)
- गरीब किसानों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद
- ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति
- खेती में स्थायित्व और सुरक्षा
- युवा किसानों का कृषि में रुझान बढ़ा
चुनौतियां (Challenges in Implementation)
- जल स्तर की गिरावट: अति-बोरिंग से भूजल स्तर प्रभावित हो सकता है।
- भ्रष्टाचार: कुछ जिलों में बिचौलियों की भूमिका सामने आई है।
- मशीनों की कमी: कई क्षेत्रों में पर्याप्त बोरिंग मशीनें उपलब्ध नहीं होतीं।
- जानकारी की कमी: ग्रामीण क्षेत्रों में कई किसानों को योजना के बारे में जानकारी ही नहीं होती।
- देरी: आवेदन से लेकर कार्य तक की प्रक्रिया में देरी की शिकायतें हैं।
समाधान और सुझाव (Recommendations)
- सख्त निगरानी: निगरानी समिति द्वारा समय-समय पर निरीक्षण किया जाना चाहिए।
- डिजिटल ट्रैकिंग: आवेदन से लेकर भुगतान तक की प्रक्रिया को ट्रैक किया जा सके।
- स्थानीय प्रचार: पंचायत स्तर पर योजना की जानकारी फैलाने के लिए अभियान चलाया जाए।
- जल संरक्षण: किसानों को जल संचयन और ड्रिप सिंचाई के बारे में जागरूक किया जाए।
उपयोगकर्ता प्रश्नोत्तर (FAQs)
उत्तर: नहीं, यह योजना सिर्फ उत्तर प्रदेश के छोटे और सीमांत किसानों के लिए है।
उत्तर: नहीं, आवेदन पूरी तरह से निशुल्क है।
उत्तर: नहीं, केवल भूमि के स्वामी ही इस योजना के लिए पात्र हैं।
उत्तर: सामान्यतः स्वीकृति के 30 दिनों के भीतर कार्य पूरा किया जाता है।
उत्तर: हां, महिला किसानों को भी बराबर लाभ दिया जाता है और उन्हें प्राथमिकता भी दी जाती है।
निष्कर्ष (Conclusion)
उत्तर प्रदेश मुफ्त बोरिंग योजना 2025 वास्तव में राज्य के किसानों के लिए वरदान साबित हो रही है। यह योजना न केवल उनकी सिंचाई समस्याओं को हल कर रही है बल्कि कृषि को लाभ का साधन भी बना रही है।
सरकार यदि इसे समय पर और पारदर्शिता के साथ लागू करती रही, तो यह योजना किसानों की आर्थिक स्थिति बदलने में अहम भूमिका निभाएगी।
